मंदसौर जिला प्रशासन ने सीतामऊ तहसील में लगभग 10 करोड़ रुपए मूल्य की बहुत कीमती जमीन को मुक्त करा दिया है। हालांकि कार्रवाई एकतरफा की है क्योंकि पट्टे की जमीन को हेराफेरी करने वाले तत्कालीन तहसीलदार और पटवारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। और ना ही संबंधित एसडीएम ने इसकी अनुशंसा की है। जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के बाद उसको शासकीय घोषित कर दी गई है।
जमीन पहले भेड़ प्रजनन एवं उप विस्तार केंद्र के नाम आरक्षित थी
जानकारी के अनुसार सीतामऊ स्थित शासकीय भूमि सर्वे नंबर 780/3 व्हाट्सएप 2001-02 तक शासकीय दर्ज थी जो भेड़ प्रजनन एवं उप विस्तार केंद्र के नाम आरक्षित थी। लेकिन बाद में इस भूमि पर निजी खाते दर्ज होने लग गए थे और धीरे-धीरे एक के बाद एक कर बिकती चली जा रही थी। वर्तमान में भूमि राजस्व रिकार्ड में 1.430 हेक्टेयर भूमि अभय कुमार पिता चांदमल भामावत निवासी सुवासरा के नाम दर्ज है। अब एसडीएम ने सर्वे भूमि अभय कुमार पिता चांदमल रामावत के बजाय मध्यप्रदेश शासन दर्ज करने का आदेश दिया गया है। तहसीलदार एवं हल्का पटवारी को आदेशित किया गया है कि वह आदेश का पालन तुरंत करना है। भूमि पर कार्यवाही कर कब्जा करके ताला लगा दिया गया है।
सामने आई है प्रशासन की एक तरफा भूमिका
सीतामऊ में हुई कड़ी कार्रवाई से प्रशासन की एकतरफा भूमिका देखने को मिली है। यहां भूमि सन 1995-96 में तहसीलदार के आदेश से ही पट्टे पर दी गई थी। उसके बाद इसका एक नामांतरण पंजी क्रमांक 43/5 नवंबर 2007 को हुआ। फिर दूसरा नामांतरण पंजी क्रमांक 43/31 मार्च 2016 को हुआ था। नामांतरण की प्रक्रिया के दौरान यह फाइल संबंधित पटवारी व तहसीलदार दोनों की नजरों से गुजरी है। और उनके हस्ताक्षर भी हुए हैं।इसके बाद भी प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट में प्रशासनिक अधिकारियों को बचाते हुए केवल अभय भामावत पर ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर अतिक्रमण करने का आरोप लगा दिया गया। हालांकि कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा है कि दोषी अधिकारियों को भी नहीं छोड़ा जाएगा।