कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय से जिले में करीब 2000 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय बंद है। स्कूल जाने की बजाए बच्चे अपने घर पर ही अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों को घर पर स्कूल जैसा माहौल नहीं मिल पाता है लेकिन शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान चलाया है। इसमें बच्चों को अभिभावकों के मार्गदर्शन में पढ़ाई करवाई जा रही है। इस अभियान के चलते बच्चे अपनी पढ़ाई सही से कर पाएंगे और अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे।
शिक्षक प्रतिदिन मोहल्ला क्लास लेकर मानिटरिंग कर रहे हैं
बच्चों की पढ़ाई में जो समस्याएं आती है उनको शिक्षक प्रतिदिन मोहल्ले में जाकर क्लास लेते हैं और मॉनिटरिंग कर बच्चों की समस्याओं को दूर कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार कोरोना काल के चलते स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन नहीं बनाया जा रहा था। मध्या भोजन कार्यक्रम के तहत प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के करीब 1 लाख 35 हजार बच्चों को सूखा राशन दिया जा रहा है।
गेहूं व चावल के साथ दाल व सोयाबीन तेल भी दिया जाएगा
बच्चों को मध्य भोजन के लिए अभी तक गेहूं व चावल दिए जा रहे थे, लेकिन अब प्रत्येक विद्यार्थी को 73 दिनों के लिए दाल और सोयाबीन तेल भी दिए जाएंगे। गेहूं और चावल तो पहले से ही दिए जा रहे थे। अब दाल और तेल का स्टाक भी आ गया है।दो दिन से ब्लाक स्तर पर स्कूल के स्वय सहायक समुह और प्रधानाध्यापक को बुलाकर तेल व दाल के पैकेट प्रदान किए जा रहे हैं। उक्त सामग्री स्कूल तक ले जाने का परिवहन ख़र्च शाशन द्वारा सीधे समूह के बैंक खाते में भेजा जाएगा।
घर घर जाकर अभिभावकों को देंगे दाल व तेल
दाल व तेल स्कूलों व घर घर जाकर अभिभावकों या बच्चों को देंगे। जनपद शिक्षा केंद्र परिसर में बीआरसी व विकास खंड शिक्षा अधिकारी एम एल डामर के निर्देशन में रतलाम ब्लाक के 513 स्कूलों से संबंधित स्वयं सहायता समूह अध्यक्ष, उनके प्रतिनिधि व प्रधानाध्यापक राशन लेकर गए। 1 सप्ताह के अंदर सभी बच्चों को राशन पहुंच जाने के निर्देश दिए हैं।
प्रत्येक विद्यार्थी को 3 किलो दाल व 783 ग्राम तेल मिलेगा। पहले विद्यार्थियों को 100 ग्राम गेहूं और 100 ग्राम चावल दिए जाते थे।अब 73 दिन के हिसाब से प्रत्येक बच्चे को दो किलो सोयाबीन तेल और 525 ग्राम तुवर दाल दी जाएगी।