भारत के विशेष पर्व में से एक पर्व मकर सक्रांति का भी हैं जो नए वर्ष के प्रारंभ के बाद मनाया जाता है यह पर्व पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में आता है इस पर्व के उपलक्ष्य में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है ।
मकर सक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने का भी महत्व है , इस दिन गुड व तिल के लड्डू बनाए जाते हैं । बच्चों द्वारा गिल्ली डंडे खेले जाते हैं साथ ही पतंगे भी इसी पर्व पर उड़ाई जाती है देश के किसान भगवान को धन्यवाद देते हैं और आशीर्वाद सदैव उन पर बने रहने की कृपा मांगते हैं । इसीलिए इस त्यौहार को किसानों के साथ-साथ फसलों का त्योहार भी कहा जाता है।
नेपाल में भी मनाया जाता है मकर सक्रांति का त्यौहार
भारत के अलावा भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है वहां इस त्यौहार को सूर्योत्तरायण,माघे संक्रांति, एवं माघी कहा जाता है साथ ही इस दिन नेपाल में सरकारी छुट्टी रहती है ।
आइए जानते हैं भारत में इसे किस – किस नाम से जाना जाता है
भारत के हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शाम ढलते ही यहां के लोग अग्नि जलाकर देव की पूजा करते हैं । साथ ही अग्नि में चावल, मक्का ,तिल आदि चले जाते हैं जिसे अवधि के रूप में जाना जाता है ।
इस पर्व में मध्य प्रदेश ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ ,गोवा तमिलनाडु ,कर्नाटक ,पश्चिम बंगाल ,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश ,जम्मू कश्मीर ,ओडिशा ,बिहार ,केरल तेलंगाना ,मणिपुर ओर सिक्किम मैं इस पर्व को ‘मकर सक्रांति ‘ के रूप में जाना चाहता है ।
साथ ही उत्तराखंड और गुजरात में इसे उत्तरायण नाम से जाना जाता है । पश्चिम बंगाल में इसे पोष क्रांति के नाम से भी जाना जाता है । कश्मीर घाटी में ऐसे शिशुर सेंक्रांत एवं असम में इसे भोगाली बिहु आदि नामों से जाना जाता है ।
14 जनवरी के दिन इसे रात्रि के दिन नहीं मनाने के कारण इसे अगले दिन 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है । इस दिन जप, तप और दान का भी विशेष महत्व है । ऐसा माना जाता है कि जो दान दिया जाता है उससे दोगुना हमको मिलता है । इस दिन गुड़ और तिल के लड्डू भी बनाए जाते हैं वह बांटे जाते हैं ।
मकर सक्रांति के लिए शुभ मुहूर्त 2021 के लिए
15 जनवरी के दिन
संक्रांति स्नान सूर्य उगने से पहले
7:19 पर संक्रांति काल
7:19 से 9:03 तक महा पुण्य काल
7:19 से 12:31 तक पुण्य काल