मौसम परिवर्तन होने के साथ-साथ अफीम की फसल पर बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लग गया है। इससे किसानों में चिंता बढ़ गई है। दिन में तेज धूप होने के कारण और रात में पर्याप्त तो ठंड नहीं मिलने के कारण पौधे के बढ़ने की गति में प्रभाव आ रहा है। पौधे में पीलापन आने के कारण किसान चिंतित हैं।
एक ना एक किसान फसल के पास रहता ही है
किसान बीमारी को मिटाने के लिए कई प्रकार के उवर्रक और कीटनाशक का उपयोग भी कर रहे हैं, लेकिन इससे भी फायदा नहीं हो रहा है। अफीम बोवनी के बाद से किसान इन फसलों की देखभाल में लग जाते हैं। परिवार का एक ना एक आदमी दिन और रात फसल की रखवाली करने के लिए जरूरी रहता है। इतनी मेहनत के बाद भी इस फसल ने किसानों की चिंता बढ़ा रखी है।
जिले में बड़े स्तर पर की जाती है अफीम की खेती
उल्लेखनीय है कि जिले में बड़े स्तर पर अफीम की खेती की जाती है। मंदसौर के बाद नीमच में अफीम के सबसे ज्यादा काश्तकार है। विभाग के पट्टा वितरण के बाद सभी किसान अफीम की खेती में लग गए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 21 अक्टूबर को नई अफीम नीति की घोषणा की गई थी। नई अफीम नीति में प्रति हेक्टेयर नारकोटिक्स ब्यूरो कार्यालय द्वारा 27 अक्टूबर से किसानों को 5 से लेकर 12 आरी तक पट्टे वितरण किए गए हैं।
कितने किसानों को मिला है बोवनी का अधिकार
इस बार जिले में 14 हजार 344 किसानों को अफीम बोवनी का अधिकार मिला है। अफीम बोवनी के साथ मौसम ने भी किसानों का साथ नहीं दिया है। मौसम परिवर्तन व बदल जाने के कारण अफीम की फसल पर बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। किसान इन फसलों की देखभाल करने के साथ-साथ इन पर कीटनाशकों का छिड़काव भी कर रहे हैं जिसके कारण किसानों का खर्चा भी बहुत हो रहा है और फसल में प्रगति भी नहीं दिखाई दे रही है।
कीटनाशक का करें छिड़काव
इस समय तापमान अधिक हो जाने के कारण और ठंड पर्याप्त नहीं मिलने के कारण पौधे में पीलापन आ रहा है। इसके कारण फसलों पर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। पौधों पर मच्छर का खतरा भी मंडरा रहा है। इसीलिए किसानों को फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए जिससे पौधे में कुछ सुधार आ जाए। और शुरुआत से ही बीमारियों पर नियंत्रण रखा जा सके।