सिक्किम में शहीद हुए मंदसौर के लाल गोवर्धन सिंह का पार्थिव

गोवर्धन सिंह भारतीय सेना के 25वीं राजपूताना मैं पदस्थ थे जो लद्दाख के लेह में तैनाती दे रहे थे। वह अपने घायल साथी को सिक्किम के जिला अस्पताल ले जा रहे थे जहां उनके रास्ते में सड़क हादसा हो गया जिससे उनके साथी एवं वह मौके पर ही शहीद हो गए जिनका पार्थिव शरीर आज उनके गांव ले जाया गया ।
3 साल पहले हुई थी उनकी शादी
आपको बता दें कि गोवर्धन सिंह की शादी 3 साल पहले ही हुई थी । जिनका 2 साल का बालक भी है जानकारी के अनुसार गोवर्धन सिंह ने मिडिल स्कूल से ही पढ़ाई की थी एवं उसके बाद उन्होंने सेना में जाने का फैसला लिया था ।
गांव वालों ने कहां सैनिक गोवर्धन सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाए ।
जानकारी के अनुसार उनकी मृत्यु ड्यूटी के समय ही हुई थी तो गांव वालों का कहना है कि वह ड्यूटी करते हुए ही शहीद हुए हैं तो उन्होंने उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की है और कहा की जब तक शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा तब तक उनका दाह संस्कार नहीं होगा ।
गांव के लोगों ने सरकार का किया विरोध प्रदर्शन और लगभग 2 घंटे रोड जाम कर दिया ।
गांव वालों की मांग के अनुसार उन्हें शहीद का दर्जा ना मिलने के कारण उनका पार्थिव शरीर गांव के समीप गुराडिया बाईपास पर ही रोका गया और वहां पर रोड जाम कर धरना प्रदर्शन किया गया और मांग की गई कि जब तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा तब तक उनका पार्थिव शरीर यहां से नहीं ले जाया जाएगा ।
एवं उनके द्वारा धरना प्रदर्शन दिया गया और यह धरना प्रदर्शन लगभग 2 घंटे तक दिया जा रहा था । और विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया एवं मंत्री जगदीश सिंह देवड़ा के खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे । और उन्होंने लगातार शहीद का दर्जा देने की मांग की जा रही थी
2 घंटे बाद वहां से उन्हें सूचना मिलने के बाद कि उन्हें शहीद का दर्जा दे दिया गया है तब वह वहां से निकले और उनकी अंतिम यात्रा शुरू की गई जिसमें हां गुराडिया देदा से होते हुए धारियां खेड़ी होते हुए उनके गांव गुड़भेली ले जाई गई जहां उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया ।