मंदसौर मंडी में शुक्रवार को बारिश के दौरान किसानों के प्याज गीले हो गए थे। कुछ किसानों ने विभाग द्वारा दी गई जानकारी को मानकर अपने प्याज पहले ही ढक के लिए थे लेकिन जिन किसानों के प्याज बारिश में गीले हो गए थे उन्होंने अपने प्याज मंडी में ही 3 दिनों में सुखाए। किसानों द्वारा मंडी बंद होने से प्याज तो सुखा लिए गए लेकिन प्याज की चमक और उनकी ऊपर की परतें गीली होने के कारण निकल गई जिससे प्याज को आकर्षित करने वाले गुण उनमें से निकल गए और इस कारण किसानों के प्याज नीलाम तो हुए लेकिन किसानों को उनके दाम बहुत कम मिले।
फिर से हुई लहसुन और प्याज की बंपर आवक
पिछले 2 दिनों से मंडी बंद होने के कारण मंडी में प्याज और लहसुन की आवक बंपर रही जिसके कारण मंडी के गेट भी बंद करने पड़े। आपके ज्यादा होने के कारण पूरा परिसर लहसुन और प्याज से भर गया।
कितनी हुई प्याज और लहसुन की आवक
मंदसौर मंडी में कुल 36 हजार 446 बोरियों की आवक हुई। इसमें 11000 कट्टे लहसुन और 9000 कट्टे प्याज की आवक रही। इनमें से अधिकतर उन किसानों के ढेर थे जो अपना माल 10 और 11 दिसंबर को बेचने आए थे लेकिन बारिश में भीगने और मंडी बंद रहने से उनका माल नहीं बिका और पड़ा रह गया। प्याज गीले होने के कारण भी उस दिन नीलामी बंद रह गई थी और अधिकारियों ने किसानों से कह दिया था कि आप अपने प्याज सुखा सकते हैं जिससे आपको अच्छे दाम मिल सके।
कुछ किसान माल लेकर अपने घर चले गए
जब किसानों को पता चला कि अब अधिकारियों ने कह दिया है कि गीले माल की नीलामी नहीं होगी और मंडी भी 2 दिनों तक बंद रहेगी इससे कुछ किसान अपना माल लेकर वापस घर चले गए और कुछ किसानों ने मंडी में ही अपने प्याज को सुखाया। जब दो दिनों में किसानों के प्याज सूख गए तो सोमवार को उन प्याज की नीलामी हुई लेकिन दो दिन की छुट्टी और गीले प्याज की नीलामी सोमवार को होने का कारण प्याज और लहसुन की एकदम ज्यादा आवक हो गई।
प्याज में कितनी गिरावट आई
किसानों का कहना है कि प्याज गीले होने के कारण प्रति क्विंटल पर 200 से 500 रुपए तक की गिरावट आई है। हमारे अधिकांश ढेर 1500 से 2000 तक ही बिके। केवल कुछ देर ही ₹2000 से ऊपर बीके जबकि बारिश होने से पहले इन्हीं प्याज की कीमत 2500 से ऊपर थी। किसानों को प्याज के दाम 1400से 2780 तक ही मिले और औसत दाम 2110 रुपए रहे।
लहसुन के दाम थोड़े अच्छे रहें
किसानों को लहसुन के दाम थोड़े अच्छे मिले। लहसुन के दाम 2500 से 10501 रुपए तक किसानों को मिले हैं। इसके साथ ही 6 हजार बोरी सोयाबीन की आवक हुई और 4000 बोरी गेहूं की आवक हुई।