जहां पर कई वर्षों से राम मंदिर बनने को लेकर प्रस्ताव पास नहीं हो रहा था और अब प्रस्ताव पास होने के बाद उस पर योजनाएं ही योजनाएं बनाई जा रही है। राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण पर कई चरणों के मंथन के बाद अब राम मंदिर निर्माण परिसर को बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।
*70 से 108 एकड़ क्षेत्र का होगा विस्तार*
पहले जहां राम मंदिर चित्र एकड़ जमीन पर बनने वाला था उसी जमीन का अब 108 एकड़ क्षेत्र में विस्तार कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने प्रयास करना शुरू कर दिए हैं। राम मंदिर परिसर के आसपास पड़ी जमीनों और आवासों को खरीदने और दान में देने वाले लोगों से दान लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगर कोई उस क्षेत्र में रह रहा है तो उसे दूसरी जगह रहने के लिए स्थान दिया जाएगा।
राम भूमि का भौतिक निरीक्षण कमिश्नर, डीएम, एसडीएम, महापौर, नगर आयुक्त और रामकोट क्षेत्र के पार्षद रमेश दास ने शुरू कर दिया है। जल्द ही सभी प्रकार के निरीक्षण में पास होने के बाद जमीन का विस्तार और मंदिर का कार्य शुरू हो जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि वास्तु की दृष्टि से कोई भी प्लाट चौरस ही होना चाहिएऔर अभी परिसर का प्लाट उस प्रकार का नहीं है इसलिए उसे चारों दिशाओं से चौरस बनाने की दृष्टि से यह कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के परकोटे का काम फर्स्ट फेज का है और परकोटे के बाहर 70 एकड़ का विकास दूसरे और तीसरे फेज का काम है।
*मंदिर की तरह दिखे पूरा शहर, रखा गया है प्रस्ताव*
राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ ऐसा प्रयास भी किया जा रहा है कि जिस प्रकार से मंदिर का निर्माण होगाउसी प्रकार से शहर की इमारतों का भी निर्माण किया जाएगा जिससे पूरा शहर मंदिर की तरह दिखे। यह कार्य हालांकि प्रशासन का है। शहर और बाहर के रास्ते मंदिर के अनुरूप होने चाहिए। मंदिर के आकर्षण और प्रभाव को शहर में बनी इमारतें कम नहीं करें इस पर जिला प्रशासन के अलावा अधिकारी, कमिश्नर और डीएम के साथ मीटिंग की गई है।
उन्होंने बताएगी मंदिर और शहर के पुराना मंदिर और इमारतें इस तरह से बनाई जाएगी मंदिर के आकर्षक को और ज्यादा अच्छा बनाया जा सके।ऐसा प्रस्ताव जिला प्रशासन को दे दिया गया है, ताकि प्रशासन शुरू से ही ध्यान रखें और पूरा शहर मंदिर की तरह जगमगा सकें।
*ट्रस्ट द्वारा बदली गई निर्माण पर रणनीति*
ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्रीमान स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि किसी भी मंदिर का परकोटा दक्षिणात्मक शैली में बनता है। यह सुरक्षा के तौर पर नहीं बल्कि मंदिर के निर्माण के हिसाब से है। स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि ट्रस्ट के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर चर्चा हुई थी कि सबसे पहले फाउंडेशन कैसे बनाया जाए। इसको लेकर ट्रस्ट के सदस्यों ने अपनी धारणा बदल ली और अब खुदाई करके फाउंडेशन का निर्माण किया जाए इसके लिए आईआईटी चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, मुंबई और रुड़की के विशेषज्ञ मिलकर मंथन कर रहे हैं। पहले फाउंडेशन को लेकर खुदाई की जरूरत नहीं मानी जा रही थी लेकिन अब खुदाई करके फाउंडेशन का निर्माण होगा।
इन सब विशेषज्ञों का अंतिम निर्देश ट्रस्ट को 15 दिसंबर तक देने की है इसके बाद ही मंदिर के खंब के फाउंडेशन का काम शुरू होगा। परकोटे का स्थान निश्चित कर दिया गया है। दिसंबर में ही उसका निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा। अब बस फाउंडेशन की ड्राइंग का इंतजार है उसके बाद सभी कार्य तेजी से शुरू हो जाएंगे।जनवरी के आरंभ में फाउंडेशन का काम भी शुरू कर दिया जाएगा।
*अयोध्या का विकास सांस्कृतिक राजधानी के रूप में हो*
श्री गोविंद देव गिरी ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ की इच्छा है कि अयोध्या का विकास वैदिक सिटी के रूप में हो लेकिन उनको दृष्टि द्वारा सुझाव दिया गया है कि अयोध्या का निर्माण विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में हो।
इस पर भी फैसला जल्द ही ले लिया जाएगा और कार्य शुरू कर दिया जाएगा।