मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर एक और बड़ा फैसला लिया है कि अब प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे और अपने हिसाब से फीस नहीं ले सकेंगे। सरकार प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है इसके लिए स्कूली शिक्षा विभाग में फीस बढ़ोतरी के नियम बनाए हैं। अब प्राइवेट स्कूलों की 30 राज्य सरकार के कंट्रोल में रहेगी। सभी निजी शिक्षण संस्थान के फीस स्ट्रक्चर पर राज्य सरकार का कंट्रोल रहेगा। मंत्री और सभी कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति सभी प्राइवेट स्कूलों की फीस तय करेगी।
शिक्षा-विभाग ने बनाएं नए नियम
स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों के लिए नए नियम बनाए हैं उन नियमों के मुताबिक कोई भी प्राइवेट स्कूल 1 साल में सिर्फ 10 से 15% ही फीस में बढ़ोतरी कर सकता है। इस पर स्कूली शिक्षा विभाग ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है।जिला समिति राज्य स्तरीय समिति को यह प्रस्ताव भेजेगी।
इससे पहले वाला कानून अधूरा था
प्राइवेट स्कूल हर वर्ष लगभग 15 से 25 फ़ीसदी फीस बढ़ा देते हैं और अभिभावक हर साल कंप्लेंट दर्ज करवाते हैं कि हमारे बच्चों के स्कूल में फीस ज्यादा ली जा रही है। सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए 2017 में “मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फिस विधेयक 2017” यह लाकर कोशिश की थी लेकिन इसमें पूरे नियम नहीं होने के कारण इसका असर स्कूलों पर ज्यादा नहीं पड़ा। यह कानून बना तो था पर नियमों के अभाव के कारण इसकी ताकत ज्यादा नहीं चल पाई। इसलिए प्राइवेट स्कूलों पर कोई रोक नहीं लगा पाए थे। लेकिन अब सरकार ने नया नियम लाकर इस परेशानी को दूर कर दिया है।
क्या प्रावधान है नए नियम में
सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए जो नया नियम बनाया है इसमें स्कूल हर साल 10 से 15% फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।ज्यादा फीस वसूलने पर स्कूल पर ₹200000 का जुर्माना और कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अगर दूसरी बार भी शिकायत प्राप्त होती है तो दंड दोगुना कर दिया जाएगा। स्कूल को अपनी फीस बढ़ाने के लिए अपने खर्चे बताने होंगे।कोई भी स्कूल किताबें और अन्य सामग्री खरीदने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं।