Voice of farmer किसान की आवाज
मंदसौर के गांव डी गांव में सोयाबीन की खेती छोड़करौ पपीते की खेती कर रहा किसान। सोयाबीन की खेती से अधिक मिल रहा है फायदा । लेकिन किसान को 3 बीघा जमीन पर लगे पपीता के चारों तरफ तार फेंसिंग करनी पड़ी क्योंकि नीलगाय उस किसान की फसल को बर्बाद करने में लगी थी। हर साल किसान सोयाबीन की फसल उगाता था लेकिन इस बार उसने पपीते की खेती कर रहा है। यह सब सोयाबीन में आने वाले रोग और नुकसान के कारण उस किसान ने किया। डी गांव क्षेत्र के कन्हैया लाल आंजना पहले सोयाबीन की खेती किया करते थे किंतु अब नुकसान से बचने के लिए पपीते की खेती कर रहे हैं। लेकिन पपीते की खेती को नीलगाय से बचाने के लिए उनको खेत के चारों तरफ तार फेंसिंग करनी पड़ गई है। कुछ माह पहले उन्होंने सोयाबीन की जगह पपीता लगाने का निर्णय लिया और 1500 पपीते के पौधे उन्होंने अपनी 3 बीघा जमीन पर लगा दिए जो कि ₹100000 के पड़े। इसके अलावा छोटे मोटे खर्चे भी हुए हैं और अब जब पपीते के पौधे फल देने लगे हैं तो उनकी रक्षा के लिए उनको तार फेंसिंग करनी पड़ी है।
किशन कन्हैया लाल आंजना का कहना है
इस क्षेत्र में नीलगाय का आतंक छाया हुआ है। नीलगाय रात को आती है और खेत में फसल बर्बाद करके चली जाती है। पपीते की खेती आसान नहीं होती इसलिए फल आने के बाद उसने उसको बचाने के लिए खेती के चारों और तार फेंसिंग भी कर दी। इनको ठंड और पानी से बचाना पड़ता है जिससे बर्बाद होने की आशंका कम रहे। और अच्छा मुनाफा हो सके।कन्हैया लाल द्वारा बताया जा रहा है कि अभी उनको ₹15 किलो भाव मिल रहे हैं। जो कि उनके लिए सोयाबीन से अच्छे हैं।