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मध्य प्रदेश सरकार अब जेल में बंद कैदियों के लिए पैरोल पर विचार कर रही है की जनवरी माह से मंदिर के पैरोल समय को बढ़ाया जाए या नहीं। मध्यप्रदेश के जेल में कैदियों को रखने की क्षमता अट्ठा 20,000 से 30,000 तक ही है। और अभी के समय में लगभग 6500 कैदी कोरोना महामारी के चलते पैरोल पर रिहा है। लेकिन मध्यप्रदेश की जेल में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या हो गई है इतने कैदी पैरोल पर होने के बावजूद भी अभी 35 से 40000 बंदी जेल में बंद है।
एक तरफ कोरोना महामारी है जिसमें देश की सरकार जनता से अपील कर रही है कि अपना ख्याल रखें, मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और दूरी बनाए रखें। जनता प्रधानमंत्री की अपील का पालन भी कर रही है लेकिन किसी किसी जगह पर बेपरवाइयां हो रही है।
मध्य प्रदेश की जेलों में नहीं दिख रहा है कोरोना
उधर जहां प्रधानमंत्री जनता से अपील कर रही है और जनता उसका पालन भी कर रही हैवहीं मध्य प्रदेश की जेलों में उसका उल्टा हो रहा हैक्योंकि जितनी जेल की क्षमता है कैदियों को रखने की उससे कई ज्यादा कैदी जेल में बंद है जिसके कारण सरकार चाह कर भी कैदियों को दूर दूर नहीं रख सकती। उनके लिए कोई सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है जबकि कोरोना का कहर बढ़ता चला जा रहा है।
सरकार को देना चाहिए मध्य प्रदेश की जेल की तरफ ध्यान
इस कोरोना काल के समय में सरकार देश की तरफ तो ध्यान दे रही है लेकिन सरकार को मध्य प्रदेश की जेलों पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि क्षमता से ज्यादा बंधुओं को कैद रखना कोरोना संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है और मैं अब जेलों पर विचार किया है की जेल में बंद कैदियों की पैरोल समय को बढ़ाया जाए या नहीं?
अभी के समय में जेल में लगभग 35000 के दी है और अगर पैरोल पर गए 6500 कैदी भी वापस आ जाए तो आप ही सोच लो क्या हो सकता है।इसलिए सरकार पैरोल को जनवरी माह तक बढ़ाने पर विचार कर रही है।
पैरोल को बढ़ाने का कारण
कैदियों के पैरोल को बढ़ाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि जो भी 6500 कैदी जो अभी पैरोल पर गए हुए हैं वह देश के संक्रमित क्षेत्रों से वापस लौटेंगे और अगर एक भी संक्रमित निकल गया तो जेल में भी को विस्फोट हो सकता है। और अभी तो कोरोना ने फिर से पैर पसारने शुरू कर दिया है।
इसलिए सरकार को केवल बढ़ाना जरूरी है।