मंदसौर की सुवासरा सीट एक ऐसी सीट है जो बयानों से बेअसर मुद्दों की जमीन पर खड़ी है और यहां सबसे बड़ा मुद्दा अभी भी किसान ही है
#उम्मीदवार भी यह जानता है कि सुवासरा में तो किसानों से जुड़ी बातें ही सुनी जाएगी।
याद होगा आपको 2018 में सुवासरा विधानसभा की सीट में विजय कांग्रेश हुई थी क्योंकि यह 2018 में किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़ी थी लेकिन अब बीजेपी सुवासरा में वोटरों से कर रही है सवाल
- एक तरफ आग लगाने वाले
- एक तरफ बाग लगाने वाले
बीजेपी का कहना है कि किसान आंदोलन एक कांग्रेस का षड्यंत्र था। सुवासरा विधानसभा के संग्राम में किसान ने ही सबसे अमूल्य मुद्दा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो मुद्दा उठाया था और जिस चुनाव में बीजेपी की पेशानी पर बल ला दिया था। अब उसी किसान आंदोलन और किसान के मुद्दे को बीजेपी सुवासरा विधानसभा चुनाव में उठा रही है। किसान हमेशा से चुनाव का मुख्य मुद्दा रहा है इस उपचुनाव में भी किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को घेर रही है। सभाओं में सबूत तक पेश किए जा रहे हैं लेकिन मंदसौर की सुवासरा सीट में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जा रहा है इस बार भी चुनाव में किसान आंदोलन का मुद्दा छाया हुआ है।
श्री जगदीश देवड़ा दे रहे किसान आंदोलन को कांग्रेसी आंदोलन का रूप। बीजेपी पर जताया पूरा भरोसा, कहा कि मुझे विश्वास है इस उपचुनाव में हरदीप जी विजेता रहेंगे। इससे पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसान आंदोलन को मुद्दा बनाकर मध्यप्रदेश में अपनी सरकार तो बनाई थी लेकिन मंदसौर जिले में सिर्फ सुवासरा विधानसभा की सीट कांग्रेस के हाथ लगी थी बाकी सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
अब किसानों के हाथ ही है सुवासरा की सीट क्योंकि सुवासरा में लगभग 80000 किसान है जो सुवासरा में जीत हार में बहुत खास प्रभाव रखते हैं।
उम्मीदवार की बात की जाए तो कांग्रेस कैंडिडेट राकेश पाटीदार के दावों के फोकस में किसान ही है। वही कमलनाथ जब राकेश पाटीदार की सियासी जमीन मजहूद करने आए थे किसानों के मजबूत वोट वाली विधानसभा सीट सुवासरा में यह भी बताया गया था कि किसानों की कर्ज माफी हुई है। वही चुनाव से पहले हरदीप सिंह डंग की सियासी जमीन मजबूत करने के लिए सौगातो की झड़ी लगा दी गई थे बीजेपी कैंडिडेट हरदीप सिंह डंग 21 अरब 85 करोड़ कयामपुर सीतामऊ सिंचाई परियोजना को स्वीकृति दिलाने को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताकर वोटर का दिल जीतने की कोशिश में जुटे हैं। यह किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा। अब सुवासरा के किसान ही जानते हैं कि वह किसकी नैया पार लगाएंगे। दोनों पार्टियों का किसान पर दाव अब किसान किसे चुनेगा। दोनों पार्टियों की बहुत धूमधाम से तैयारियां चल रही है।